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अन्न ब्रह्म अस्ति

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🕉️ जय भारत जय विश्व जन जन जागो जन जागो ♥️ भारत एक ऐसा अटूट देश जहां प्रत्येक निवासी एक इस बात का दिल से शुक्रिया करता है और को धन्यवाद देता है कि  " हम (आप+मैं) सदा एक रहे और भारत  की सामाजिक न्याय व्यवस्था को मजबूत शासन के द्वारा एकजुट करें।  यद्यपि प्रत्येक ही कोई न कोई धार्मिक विचारधाराएं से और जातिये वर्गीकरण के कारण भिन्न –भिन्न हो और किसी भी धर्मो के मानने वाले लोगों की भीड़ आपस मे बटी हो और एक दूसरे की बातों में से ऐसे तथ्यों को निकाल लेते है, जिससे एक मानव समाज बिखर जाए।  यही बात राजनीतिज्ञो को और उसी मानसिकता के लोगों को उत्प्रेरित करती है की इस बिखराव से कौन,कितना कब तक भौतिक सम्पदा को एकत्रित कर सके और समाज में त्रिरिस्कारपूर्ण भावनाओं को लोगों के मनों में व्याप्त कर सके ।  जिससे भारत राष्ट्र  छवि के साथ विश्व के  सामने धूमिल होती रहे और विश्व के सामने भारत की छवि मात्र एक ऐसे देश के रूप में विकसित हो सके जिसमे तरह –तरह की असमंजस्त हो जो धर्म (मानसिक सत्तचरितता) यद्यपि भारत ही वह देश रहा है जिसने विश्व में अमरता के ज्ञान को एक मानव समाज तक विस्तारित किया,है और करता रहे

जीवन और संसार

मूल्य या अमूल्य मानव जीवन जिसमे सर्वस्व है, जब भेद -विभेद ना हो विचारों में और एक ही विचार हो सुनहरे स्वपन संसार में।  सब में एक , एक में सब  जय भारत जय विश्व  संसार बुद्धिजीवी है और मानव जानता है कि मानव  जीवन एक स्वपन है।  विचारों की अनन्त तरंगो को विस्तृत या संकुचित करना मानव मन/बुद्धि का कार्य है।  मानव को यह बात का ज्ञान है की भौतिक पदार्थ का अस्तित्व नही है। भौतिक विज्ञान का सार सर्वविदित है कि भौतिक पदार्थ, ऊर्जा  का घनिभूत रूप है। फिर चाहे वह शरीर हो या सूर्य।यह भी अटल है की जीवन अमर है। जिस अभिव्यक्ति को संसार जन ईश्वर ,कृष्ण ,जीसस ,अल्लाह ,गुरु नानक ,भगवान बुध ,महावीर,राम ,मालिक ,लाहिड़ी महाशय ,ब्रहम ,क्राइस्ट या ब्रह्मांडीय ऊर्जा या जिस नाम ,रूप का ध्यान करते है या से प्रार्थना करते है यदि विचार तरंगो में शिथिलता आती है। तो शान्ति और स्थिर्ता स्वतः अनुभव में प्राप्त होती है। ईश्वर को  शब्दों द्वारा व्यक्त करना ,तर्क -वितर्क करना निरर्थक है। संसार का प्रत्येक प्राणी स्वतंत्र है।  मानव समाज ऐसे जकड़ा हुआ  जैसे मकड़ी अपने ही जाल से।  प्रत्येक अधिकतम और अधिकतम की चाहा