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कण में ईश्वर क्षण में ईश्वर

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  महात्मा ( महान आत्मा ) शब्द द्वारा ऐसे व्यक्तित्व के प्रति सम्बोधन है , जिसने धर्म की आधारशिला जो मात्र अहिंसा है , का अनुसरणकर्ता बनकर भारतीय समाज को एकता के सूत्र में बांध /संगठित कर भारत देश को स्वतन्त्रता से शुशोभित करते हुए , विश्व जन मानस को भी 'अहिंसा परम धर्म ' का पाठ पढ़ाने वाले महापुरुष को सम्पूर्ण विश्व ' महात्मा गाँधी '(मोहनदास करम चंद गाँधी) के नाम से पुकारते है।   महात्मा गांधी जी की जीवनचर्या और विचार स्वतः राजनितिक संत के रूप में विश्व समाज को प्रेरित करते है।  गांधी जी द्वारा अहिंसा की व्याख्या " विचार या कृति से किसी जीव  को किसी प्रकार की हानि न पहुँचाना। ऐसे सुन्दर आदर्श धारण एवं कृत्यों द्वारा प्रकट करने वाला जीवन सदैव ही जन -जन की लिए प्रेरणादायी ही है।  महात्मा गांधी की अहिंसा की पुकार मनुष्य की अंतरात्मा को छूती है।  गांधी जी कहते है ' रक्तपात के द्वारा अपने देश को स्वंतंत्र कराने का प्रयास करने की अपेक्षा आवश्यक हुआ तो मै सदियों तक स्वंतंत्रता की प्रतिक्षा करुँगा।     ऐसे दृढ़ी अहिंसावादी द्वारा ही भारत की प्रखरता को और प्रकाशित कर विश्

जन जागो

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जय भारत जय विश्व जन की बात ,जनता  के साथ  महात्मा ( महान आत्मा ) शब्द द्वारा ऐसे व्यक्तित्व के प्रति सम्बोधन है , जिसने धर्म की आधारशिला जो मात्र अहिंसा है , का अनुसरणकर्ता बनकर भारतीय समाज को एकता के सूत्र में बांध /संगठित कर भारत देश को स्वतन्त्रता से शुशोभित करते हुए , विश्व जन मानस को भी 'अहिंसा परम धर्म ' का पाठ पढ़ाने वाले महापुरुष को सम्पूर्ण विश्व ' महात्मा गाँधी '(मोहनदास करम चंद गाँधी) के नाम से पुकारते है।   महात्मा गांधी जी की जीवनचर्या और विचार स्वतः राजनितिक संत के रूप में विश्व समाज को प्रेरित करते है।  गांधी जी द्वारा अहिंसा की व्याख्या " विचार या कृति से किसी जीव  को किसी प्रकार की हानि न पहुँचाना। ऐसे सुन्दर आदर्श धारण एवं कृत्यों द्वारा प्रकट करने वाला जीवन सदैव ही जन -जन की लिए प्रेरणादायी ही है।  महात्मा गांधी की अहिंसा की पुकार मनुष्य की अंतरात्मा को छूती है।  गांधी जी कहते है ' रक्तपात के द्वारा अपने देश को स्वंतंत्र कराने का प्रयास करने की अपेक्षा आवश्यक हुआ तो मै सदियों तक स्वंतंत्रता की प्रतिक्षा करुँगा।     ऐसे दृढ़ी अ