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ॐ परमात्मने नमः जय भारत जय विश्व 💗 जनता कबीरदास जी ने सत्य वचन को इतनी सहजता से कह दिया की उनके शब्दों को लोगों की समझ में आ जाना ही वह है जिसे कोई भी विवरण तो कर पायेगा लेकिन वास्तव में जो अनुभव को यदि कह पायेगा तो यह मात्र वैचारिक विचार ही है जो उसे अनुभवगत होते है। फिर भी प्रयास करना ही मानव का कर्म है परमात्मा के लिये -------- " जीवत में मरना भला मरे से जाने कोय जा मरने से जग डरैय सो मेरो आनन्द कब मरिहौ कब पैयेहों पूरन परमानन्द मन मरा माया मरी हंस बेपरवाह जाका कछु न चाहिये सोइ शहंशाह " मानव जीवन में अमर जीवन है। कैसे ? यह एक ऐसा विचार है जिसे सुनकर और शोध कर ज्ञांत/अनुभवित किया जा सकता है न कि इतना कहना सब ईश्वर है। यह लगभग सभी धार्मिक विचारधाराओं और पवित्र धार्मिक शास्त्रो में कही जा रही है चाहे वह श्रीमद्भगवद गीता , बाइबिल ,कुरान ,गुरु ग्रन्थ साहिब, वेद पुराण और इसी प्रकार जिसमे भी ईश्वर/परमात्मा /आत्मा के बारे मात्र शब्दों के द्वारा गयी जा रही है कि हम एक है और अमर है। जैसे प्रत्येक मानव म...